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🔷 "Rihand Dam Renukoot की अनसुनी दास्तां: अफवाहें, सच्चाई और विस्थापन का दर्द!"

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🌊 "जब बना था Rihand Dam (1954-1962): एक सपना या किसी की क़ुर्बानी?"

रेनुकूट (उत्तर प्रदेश) में स्थित Rihand Dam, जिसे गोविंद बल्लभ पंत सागर भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़े जलाशयों में से एक है। यह बांध न केवल बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए अहम है, बल्कि इसके निर्माण के दौरान हुई घटनाएं, अफवाहें और लोककथाएं आज भी लोगों के ज़हन में जिंदा हैं। आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक परियोजना से जुड़ी कुछ रोचक बातें, जिनमें हकीकत भी है और अफवाहें भी...

सबसे महत्वपूर्ण कहानी, जिसे रेणुकूट में सभी लोग मानते हैं , कहा जाता है कि जब रिंहद डैम का निर्माण हो रहा था तो जो भी मजदूर दिन भर काम करते थे , रात में कुछ ऐसा होता था कि अगले दिन सुबह तक सब कुछ बह जाता था। यह प्रक्रिया लगातार चलती रही , अंत में किसी इंजीनियर या कुछ लोग साधु का नाम भी लेते हैं कि उनके सपने में मां वनदेवी की स्थापना भी बात भगवान द्वारा की गई , जिसके बाद रिंहद डैम से थोड़ी ही दूर पर मां वनदेवी की स्थापना की गई और उसके बाद डैम का कार्य शुरू हो पाया ।


💧 1. डूबते गाँव – विस्थापन की करुण गाथा

  • Rihand Dam के निर्माण के लिए लगभग 100+ गांवों को डुबोया गया।
  • छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के हजारों परिवारों को जबरन उजाड़ा गया।
  • लोगों को मुआवज़ा तो मिला, लेकिन ज़मीन और पहचान दोनों छिन गई।
  • "हमारा गांव अब पानी के नीचे है" – यह वाक्य आज भी बुजुर्गों की आंखें नम कर देता है।

👻 2. अफवाह: डूबे मंदिर से आती है घंटियों की आवाज़!

  • डैम बनने से पहले एक प्राचीन शिव मंदिर उस स्थान पर था, जो अब पानी के नीचे है।
  • गर्मियों में जल स्तर कम होता है तो कुछ लोगों का दावा है कि मंदिर की छत और घंटी दिखाई देती है।
  • कुछ मछुआरे कहते हैं कि रात को उस दिशा से घंटियों की आवाज़ आती है।

🧓 3. हकीकत: बिना सूचना के उजाड़ दिए गए कई गांव

  • कई गांववासियों को यह तक नहीं बताया गया कि उनका गांव डूबने वाला है।
  • “हमारे पिताजी खेत में काम कर रहे थे और बुलडोजर आ गया” – ऐसी कहानियाँ स्थानीयों की जुबानी सुनने को मिलती हैं।
  • पुनर्वास योजना धीमी थी, जिसके कारण कई परिवार सड़क किनारे या जंगल में रहकर वर्षों गुज़ारते रहे।

⚡ 4. अफवाह: रात में जलाशय से रोने की आवाजें आती हैं

  • कुछ नाविक और रात में मछली पकड़ने वाले कहते हैं कि पानी से किसी के रोने, चिल्लाने की आवाज़ें आती हैं।
  • लोगों का मानना है कि यह उन लोगों की आत्माएं हैं जो बिना अंतिम विदाई के डूब गए।

🚢 5. अनजाने डर: नाविकों की मान्यता

  • कुछ इलाकों में नाव में अगरबत्ती जलाना मना है। माना जाता है कि इससे “जल की देवी” नाराज़ हो जाती हैं और नाव डूब सकती है।
  • यह एक पुरानी परंपरा है जो आज भी कई मछुआरे मानते हैं।

🔬 6. सामाजिक बदलाव: एक शहर का जन्म

  • Rihand Dam की वजह से ही Renukoot शहर का विकास हुआ।
  • साथ ही Hindalco Industries, NTPC, और कई पावर प्लांट्स की नींव पड़ी।
  • लेकिन इस विकास की कीमत हजारों लोगों को अपनी जड़ें खोकर चुकानी पड़ी।

🌊 "जब बना था Rihand Dam (1954-1962): एक सपना या किसी की क़ुर्बानी?"

रेनुकूट (उत्तर प्रदेश) में स्थित Rihand Dam, जिसे गोविंद बल्लभ पंत सागर भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़े जलाशयों में से एक है। यह बांध न केवल बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए अहम है, बल्कि इसके निर्माण के दौरान हुई घटनाएं, अफवाहें और लोककथाएं आज भी लोगों के ज़हन में जिंदा हैं। आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक परियोजना से जुड़ी कुछ रोचक बातें, जिनमें हकीकत भी है और अफवाहें भी...


💧 1. डूबते गाँव – विस्थापन की करुण गाथा

  • Rihand Dam के निर्माण के लिए लगभग 100+ गांवों को डुबोया गया।
  • छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के हजारों परिवारों को जबरन उजाड़ा गया।
  • लोगों को मुआवज़ा तो मिला, लेकिन ज़मीन और पहचान दोनों छिन गई।
  • "हमारा गांव अब पानी के नीचे है" – यह वाक्य आज भी बुजुर्गों की आंखें नम कर देता है।

👻 2. अफवाह: डूबे मंदिर से आती है घंटियों की आवाज़!

  • डैम बनने से पहले एक प्राचीन शिव मंदिर उस स्थान पर था, जो अब पानी के नीचे है।
  • गर्मियों में जल स्तर कम होता है तो कुछ लोगों का दावा है कि मंदिर की छत और घंटी दिखाई देती है।
  • कुछ मछुआरे कहते हैं कि रात को उस दिशा से घंटियों की आवाज़ आती है।

🧓 3. हकीकत: बिना सूचना के उजाड़ दिए गए कई गांव

  • कई गांववासियों को यह तक नहीं बताया गया कि उनका गांव डूबने वाला है।
  • “हमारे पिताजी खेत में काम कर रहे थे और बुलडोजर आ गया” – ऐसी कहानियाँ स्थानीयों की जुबानी सुनने को मिलती हैं।
  • पुनर्वास योजना धीमी थी, जिसके कारण कई परिवार सड़क किनारे या जंगल में रहकर वर्षों गुज़ारते रहे।

⚡ 4. अफवाह: रात में जलाशय से रोने की आवाजें आती हैं

  • कुछ नाविक और रात में मछली पकड़ने वाले कहते हैं कि पानी से किसी के रोने, चिल्लाने की आवाज़ें आती हैं।
  • लोगों का मानना है कि यह उन लोगों की आत्माएं हैं जो बिना अंतिम विदाई के डूब गए।

🚢 5. अनजाने डर: नाविकों की मान्यता

  • कुछ इलाकों में नाव में अगरबत्ती जलाना मना है। माना जाता है कि इससे “जल की देवी” नाराज़ हो जाती हैं और नाव डूब सकती है।
  • यह एक पुरानी परंपरा है जो आज भी कई मछुआरे मानते हैं।

🔬 6. सामाजिक बदलाव: एक शहर का जन्म

  • Rihand Dam की वजह से ही Renukoot शहर का विकास हुआ।
  • साथ ही Hindalco Industries, NTPC, और कई पावर प्लांट्स की नींव पड़ी।
  • लेकिन इस विकास की कीमत हजारों लोगों को अपनी जड़ें खोकर चुकानी पड़ी।


🔷 रिहंद डैम के तकनीकी विवरण (Technical Specifications)


विशेषता विवरण

निर्माण वर्ष – 1954 में शुरू, 1962 में पूरा हुआ

निर्माण एजेंसी–  सेंट्रल वाटर कमिशन (CWC)

स्थान–.     रेनुकूट, जिला सोनभद्र, उत्तर प्रदेश

नदी –.  रिहंद नदी (सोन नदी की सहायक नदी)

डैम का प्रकार –ग्रेविटी डैम (Concrete Gravity Dam)

ऊँचाई (Height) – 91.44 मीटर (300 फीट)

लंबाई (Length)– 934.45 मीटर (3,065 फीट)

जलाशय क्षमता – 10.6 बिलियन क्यूबिक मीटर

जलाशय क्षेत्रफल ~46,500 हेक्टेयर

नामित जलाशय –  गोविंद बल्लभ पंत सागर

उद्देश्य –  सिंचाई, बिजली उत्पादन, जल आपूर्ति



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🔧 रिहंद डैम की तकनीकी शब्दावली और बिजली उत्पादन प्रक्रिया

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⚙️ 1. टर्बाइन (Turbine) क्या है?

टर्बाइन एक घूमने वाली मशीन होती है जो पानी के दबाव (Hydraulic Pressure) से घूमती है। रिहंद डैम के जल को ऊंचाई से नीचे गिराया जाता है और वह गिरता हुआ पानी टर्बाइन को घुमाता है।

🌀 जब टर्बाइन घूमती है, तो वह जनरेटर (Generator) को चलाती है।

🧲 जनरेटर, घूमती हुई ऊर्जा को बिजली (Electricity) में बदल देता है।

> सरल भाषा में: पानी गिरता है → टर्बाइन घूमती है → जनरेटर बिजली बनाता है।

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⚡ 2. टाइप ऑफ टर्बाइन्स (Types of Turbines in Dams)

रिहंद डैम जैसी जगहों पर आमतौर पर Francis Turbine या Kaplan Turbine का इस्तेमाल होता है:

टर्बाइन का नाम कब उपयोग होती है विशेषता

Francis जब पानी की ऊंचाई मध्यम हो (30-300 मीटर) सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली टर्बाइन

Kaplan जब ऊंचाई कम हो और पानी की मात्रा ज्यादा हो बड़ी नदियों और डैमों के लिए उपयुक्त

> रिहंद डैम में Francis टर्बाइन का इस्तेमाल माना जाता है, क्योंकि वहां मध्यम ऊंचाई और अच्छा पानी का प्रवाह है।


⚡ 3. जनरेटर (Generator) कैसे काम करता है?

जब टर्बाइन घूमती है, तो वह जनरेटर के अंदर लगे कॉइल और मैगनेट्स को घुमाती है। इससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन के जरिए बिजली पैदा होती है। यह बिजली फिर ट्रांसफार्मर के जरिए घरों और उद्योगों तक भेजी जाती है।


🔌 4. Installed Capacity क्या होती है?

Installed Capacity का मतलब है कि डैम या पावर प्लांट अधिकतम कितनी बिजली बना सकता है।

NTPC Rihand Super Thermal Power Station (डैम के पास स्थित) की क्षमता:

3,000 मेगावाट (MW)

लेकिन डैम से जुड़े जल-विद्युत संयंत्रों की क्षमता लगभग:

60 MW से 120 MW तक मानी जाती है।


💡 5. Auxiliary Power Consumption क्या होता है?

यह वह बिजली होती है जो डैम खुद अपनी आंतरिक मशीनों, पंपों, लाइटों, नियंत्रण प्रणाली आदि को चलाने में खर्च करता है।

> उदाहरण: अगर डैम 100 मेगावाट बनाता है और 5 मेगावाट खुद खर्च करता है, तो नेट आउटपुट 95 मेगावाट होगा।


🔌 6. Switchyard क्या होता है?

डैम के बाहर एक Switchyard होता है जहां से:

बिजली को अलग-अलग वोल्टेज में बदला जाता है।

फिर ट्रांसमिशन लाइनों के जरिए दूसरे राज्यों या शहरों को भेजा जाता है।


📊 रिहंद डैम में पावर जनरेशन का ग्राफिक उदाहरण


Water from Dam

     ↓

  Penstock (बड़े पाइप)

     ↓

  Turbine → Generator

     ↓

  Electricity

     ↓

  Switchyard → Transmission Line → Your Home!

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🎯 अन्य टेक्निकल टर्म्स एक लाइन में


टर्म मतलब


Penstock –वह पाइप जिससे पानी टर्बाइन तक जाता है

Spillway– अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था

Tailrace– टर्बाइन से निकला पानी जहां जमा होता है

Surge Tank– अचानक दबाव बढ़ने से बचाने के लिए

Load Factor– प्लांट कितनी बार अपनी पूरी क्षमता पर काम करता है

🔍 निष्कर्ष (Conclusion)

रिहंद डैम सिर्फ एक जलाशय नहीं, बल्कि एक ऊर्जा केंद्र है। यहां पानी की ताकत से बिजली बनाई जाती है जो हजारों गांवों, कारखानों और शहरों तक जाती है। इसमें टर्बाइन, जनरेटर, स्विचयार्ड और कई तकनीकी व्यवस्थाएं एक साथ मिलकर काम करती हैं।

अगर आपको इसके किसी भी तकनीकी पहलू पर विस्तार से जानकारी चाहिए या ग्राफिक के रूप में समझ

ना है, तो जरूर बताएं।



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🔷 रिहंद डैम के प्रमुख उद्देश्य

1. 🔌 विद्युत उत्पादन:

डैम से जल विद्युत संयंत्र जुड़े हुए हैं, जो NTPC रिहंद, अनपरा, और ओबरा को सपोर्ट करते हैं।


2. 🚜 सिंचाई:

रिहंद डैम की जल क्षमता बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों गांवों की सिंचाई के लिए उपयोग की जाती है।


3. 💧 पेयजल आपूर्ति:

डैम का पानी रेनुकूट, ओबरा और NTPC टाउनशिप की जलापूर्ति करता है।


🔷 रोचक तथ्य और अफवाहें

"जल में डूबा गाँव": जब डैम का जलाशय भरा गया, तब आसपास के कई गाँव जलमग्न हो गए थे। स्थानीय लोगों के अनुसार कई गांव बिना उचित पुनर्वास के विस्थापित हुए थे। कुछ लोगों की मान्यता है कि एक मंदिर आज भी जलाशय के भीतर डूबा हुआ है, जिसकी घंटी अब भी शांत जल में गूंजती है – ये एक चर्चित किंवदंती है।


"रात में ध्वनि": कुछ मछुआरों का दावा है कि रात में डैम के अंदर से कभी-कभी किसी धार्मिक अनुष्ठान जैसी ध्वनि आती है – हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


🔷 वर्तमान स्थिति (2025 के अनुसार)

जल स्तर और क्षमता:

मॉनसून के दौरान डैम भर जाता है, लेकिन गर्मियों में जल स्तर चिंताजनक रूप से गिर जाता है। इसके कारण सिंचाई और बिजली उत्पादन पर असर पड़ता है।

✅ रख-रखाव और मरम्मत:

CWC और NTPC द्वारा समय-समय पर इसकी तकनीकी जांच होती है। हाल ही में (2023-24) स्पिलवे गेट्स का रिनोवेशन भी किया गया था।

✅ पर्यटन स्थल:

रिहंद डैम अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बनता जा रहा है। यहाँ बोटिंग और पिकनिक जैसी सुविधाएं बढ़ रही हैं।

✅ इकोलॉजिकल चिंता:

पानी की गिरती गुणवत्ता, और आसपास कोयला संयंत्रों की वजह से पर्यावरणीय खतरे भी सामने आ रहे हैं।

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🔷 भविष्य की योजनाएं


1. सोलर पैनल फ्लोटिंग प्रोजेक्ट – NTPC रिहंद द्वारा।

2. ईको-टूरिज्म विकसित करने की योजना।

3. जल संरक्षण के लिए गांवों में जागरूकता अभियान।


🔷 निष्कर्ष


रिहंद डैम न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत की जल-ऊर्जा व्यवस्था में एक रीढ़ की हड्डी है। इसके निर्माण ने कई लोगों को विस्थापित किया, लेकिन आज यह लाखों लोगों को ऊर्जा, पानी और जीवन देता है। इसकी सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और पुनर्वास जैसे मुद्दों पर लगातार ध्यान देने की जरूरत है।



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अगर आप सोनभद्र या आसपास के क्षेत्र से हैं, तो रिहंद डैम सिर्फ एक बांध नहीं, बल्कि आपके इतिहास, वर्तमान और भविष्य का हिस्सा है।



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क्या आप इससे जुड़ी कोई पुरानी याद या जानकारी साझा करना चाहेंगे? कमेंट में जरूर बताएं!



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