पंतनगर के वैज्ञानिकों ने विकसित की लंबे समय तक चलने वाली एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक: जानिए इसकी खोज, प्रक्रिया और फायदे
📅 13 जुलाई 2025 | उत्तराखंड विज्ञान समाचार
✍️ लेखक: प्रधान विंग टीम
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उत्तराखंड स्थित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर (GBPUAT) के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक ऐसी विशेष एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक विकसित की है, जो बैक्टीरिया के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करती है। यह खोज न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि खाद्य पैकेजिंग, कृषि और रोज़मर्रा के उपयोगी उत्पादों में भी क्रांति ला सकती है।
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🔬 इस खोज के पीछे कौन हैं वैज्ञानिक?
इस एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक की खोज GBPUAT की जैव प्रौद्योगिकी और पॉलिमर साइंस विभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने की है।
प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अंशुल रस्तोगी और उनकी टीम — जिसमें डॉ. नेहा जोशी और शोधार्थी रवि सिंह शामिल हैं — ने इस पर करीब दो वर्षों तक शोध किया।
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🧪 कैसे बनाई गई यह एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक? (प्रक्रिया)
इस प्लास्टिक को तैयार करने में वैज्ञानिकों ने नैनोपार्टिकल्स और जैव-सक्रिय यौगिकों (bioactive compounds) का उपयोग किया।
मुख्य प्रक्रिया इस प्रकार रही:
1. बायोपॉलिमर और नैनोमटेरियल्स का मिश्रण किया गया, जैसे सिल्वर नैनोपार्टिकल्स।
2. इसे विशेष तापमान और दबाव पर प्रोसेस करके प्लास्टिक शीट बनाई गई।
3. इस प्लास्टिक को बैक्टीरिया टेस्टिंग लैब में कई प्रकार के हानिकारक जीवाणुओं (जैसे E. coli, Salmonella) पर परीक्षण किया गया।
4. परिणाम: यह प्लास्टिक 99% से अधिक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सफल रही और इसकी प्रभावशीलता 90 दिनों से अधिक समय तक बनी रही।
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✅ इस एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक के प्रमुख फायदे:
🔹 स्वास्थ्य सुरक्षा: यह प्लास्टिक बैक्टीरिया के विकास को रोकती है, जिससे संक्रमण का खतरा घटता है।
🔹 फूड पैकेजिंग में उपयोगी: खाद्य सामग्री लंबे समय तक ताज़ा रहती है और संक्रमित नहीं होती।
🔹 चिकित्सा उपकरणों के लिए आदर्श: सर्जिकल उपकरण, कैथेटर, दस्ताने और अन्य मेडिकल उपयोग में कारगर।
🔹 पर्यावरण के अनुकूल: इस प्लास्टिक को बायोडिग्रेडेबल बनाने की दिशा में काम जारी है।
🔹 लंबी अवधि तक प्रभावी: सामान्य एंटीबैक्टीरियल कोटिंग कुछ दिन चलती है, लेकिन यह प्लास्टिक तीन महीने तक प्रभावी रहती है।
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🔍 अन्य संभावनाएं और भविष्य की योजना
पंतनगर की यह टीम अब इस तकनीक का पेटेंट लेने की तैयारी कर रही है और कई औद्योगिक कंपनियों से साझेदारी के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। निकट भविष्य में:
इसका व्यावसायिक उत्पादन संभव हो सकेगा।
यह मास्क, पैकेट, मोबाइल कवर, बच्चों के खिलौने आदि में इस्तेमाल हो सकेगी।
वैज्ञानिक इसे बायोडिग्रेडेबल और 100% इको-फ्रेंडली बनाने की दिशा में और अनुसंधान कर रहे हैं।
---🧠 प्रधान विंग की राय
पंतनगर विश्वविद्यालय की यह खोज भारतीय विज्ञान और स्वदेशी तकनीक की दिशा में एक मील का पत्थर है। ऐसे समय में जब बैक्टीरियल इंफेक्शन एक बड़ी चिंता है, यह एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक भविष्य को सुरक्षित बनाने में एक बड़ा योगदान दे सकती है।
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📌 निष्कर्ष
यह एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक सिर्फ एक उत्पाद नहीं है, यह आने वाले समय की जरूरत है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह खोज सस्ती, सुरक्षित और प्रभावी तकनीक का उदाहरण है। हमें उम्मीद है कि यह तकनीक जल्द ही बाज़ार में आएगी और लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाएगी।
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📢 आपकी क्या राय है इस खोज पर? क्या आप भी चाहते हैं कि यह प्लास्टिक जल्दी से जल्दी आम जनता तक पहुँचे? हमें कमेंट में ज़रूर बताएं।
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